राष्ट्रीय सहमति से समलैंगिक रिश्ते अब अपराध नहीं- धारा-377


आईपीसी की धारा-377 के मुताबिक़, अगर कोई व्यक्ति अप्राकृतिक रूप से यौन संबंध बनाता है तो उसे उम्रक़ैद या जुर्माने के साथ दस साल तक की क़ैद हो सकती है.
आईपीसी की ये धारा लगभग 150 साल पुरानी है और महारानी विक्टोरिया के दौर की नैतिकता का अवशेष मात्र है.

सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला जल्द

समलैंगिकों को मूलत: एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन, गे, बाय-सेक्शुअल्स, ट्रांसजेंडर्स और क्वीर) कहा जाता है.
अक्तूबर, 2017 तक दुनिया के 25 देशों में समलैंगिकों के बीच यौन संबंध को क़ानूनी मान्यता मिल चुकी है.
इन देशों में ब्रिटेन, कनाडा और अमरीका जैसे बड़े देश भी शामि है.
सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 को  होमो सेक्‍सुअल्‍टी के मामले में दिए गए अपने ऐतिहासिक जजमेंट में समलैंगिगता मामले में उम्रकैद की सजा के प्रावधान के कानून को बहाल रखने का फैसला किया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें दो बालिगो के आपसी सहमति से समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर माना गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जबतक धारा 377 रहेगी तब तक समलैंगिक संबंध को वैध नहीं ठहराया जा सकता hai

बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न पक्षों को सुनने के बाद 17 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा भी शामिल हैं। पहले याचिकाओं पर अपना जवाब देने के लिए कुछ और समय का अनुरोध करने वाली केन्द्र सरकार ने बाद में इस दंडात्मक प्रावधान की वैधता का मुद्दा अदालत के विवेक पर छोड़ दिया था।
तब केन्द्र ने कहा था कि नाबालिगों और जानवरों के संबंध में दंडात्मक प्रावधान के अन्य पहलुओं को कानून में रहने दिया जाना चाहिए। धारा 377 ‘अप्राकृतिक अपराधों’ से संबंधित है जो किसी महिला, पुरुष या जानवरों के साथ अप्राकृतिक रूप से यौन संबंध बनाने वाले को आजीवन कारावास या दस साल तक के कारावास की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने डांसर नवतेज जौहर, पत्रकार सुनील मेहरा, शेफ रितु डालमिया, होटल कारोबारी अमन नाथ तथा केशव सूरी, आयशा कपूर तथा आईआईटी के 20 पूर्व एवं वर्तमान छात्रों द्वारा दायर रिट याचिकाएं सुनी 

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